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Thursday 28 March 2013

नवरुणा का अपहरण: घटनाक्रम एक नजर मे



1) 18 सितंबर 2012 की रात जवाहरलाल रोड स्थित अतुल चक्रवर्ती के घर के एक कमरे में सोई उनकी बेटी सेंट जेवियर्स स्कूल की छात्रा नवरुणा का अपहरण.

2) घटना के बाद जब परिजनों की नींद खुली तो तत्काल पुलिस को सूचना दी गई(मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूचना 3:30 सुबह में, पुलिस आई 4:30 में ) । पुलिस ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की।

3)19 सितंबर को दर्ज मामले की जांच प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर अमित कुमार को सौंप दिया गया। मामला प्रेम प्रसंग का है, कहकर मामले को गंभीरता से नही लिया गया। टावर लोकेशन, सीमा सील, डॉग स्क्वायड आदि कुछ नहीं किए गए।  स्थानीय मीडिया रिपोर्ट पहले दिन से इस अपहरण मामले के पीछे कीमती जमीन को हथियाने के प्रयास का परिणाम माना, इस बात पर नवरुणा के माता पिता भी सहमत थे कि अपहरण के पीछे जमीन को हड़पने की कोसिस में लगे लोगो का ही हाथ है, लेकिन पुलिस कभी मधुबनी कांड में व्यस्त है, तो कभी किसी और मसले में, कहकर और पुरे मामले को प्रेम प्रसंग बताकर अपना पल्ला झाड़ती रही।    

4) 21 सितंबर: संदिग्धों से लगातार पूछताछ के बाद भी नहीं मिला सुराग।

5) 19 अक्टूबर: एक महीने बाद भी बेटी का कोई सुराग नहीं मिलने, प्रेम प्रसंग बताकर बेटी के चरित्र लांक्षण से आजीज आकर नवरुणा के माता-पिता ने 22 अक्टूबर को एसएसपी आवास के समक्ष आत्मदाह की घोषणा की।

20 अक्टूबर : अपहरण के मामले में तीन आरोपी जेल भेजे गए।

6) 21 अक्टूबर :  सीएम की सभा में महिला पुलिसकर्मियों  ने आलाधिकारियों के इशारे पर अपनी बेटी के लिए गुहार लगाने पहुंची नवरुणा की मां मैत्री चक्रवर्ती को सीएम से मिलने नहीं दिया, दो महिला पुलिसकर्मी तैनात कर दिए। हद तो यह हो गई कि माँ के हाथों से आवेदन छीन लिए और उसे फाड़ दिया। माँ रोटी-बिलखती रही, लेकिन उसे मिलने नहीं दिया गया। अगले दिन सभी अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर यह खबर छपी लेकिन सरकार की तरफ से कोई सुध लेने नहीं पहुंचा।

7) 22 अक्टूबर:  एसएसपी विशेष टीम के साथ अपहृता के घर पहुंचे। कहा, 24 अक्टूबर तक घर लौट आएगी बेटी।

8) 25 अक्टूबर : 24 तक बेटी के घर लौटने सम्बन्धी एसएसपी के वादे की मियाद पूरी होने पर, बेटी की याद में नवरुणा के पिता ने नींद की आठ गोलिया खाकर जान देने की कोसिस की।

9) 26 अक्टूबर : फेसबुक पर नवरुणा के लिए कैम्पेन शुरू। नवरुणा की दोस्त ने एक पेज बनाकर उसे ढूंढने की अपील की। मुजफ्फरपुर सहित हम दिल्ली के छात्रों को भी इसी फेसबुक पेज से इस दुखद अपहरण कांड की जानकारी मिली।

10) 27 अक्टूबर को दैनिक जागरण अखबार में "बेटी को बचाओ" शीर्षक एक खबर लगी, जिसे ऑनलाइन पढ़कर पुरे मामले की जानकारी लेने की उत्सुकता शहर से लेकर हमारे जैसे दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर जैसे जगहों पर रहनेवाले लोगो को हुई। 27 को ही शहर में कुछ छात्रों ने कैंडल मार्च का आयोजन किया। कुछ जानकार लोगो ने हमसे भी ऐसा करने को अनुरोध किया।

11) 28 अक्टूबर को नवरुणा की गूंज मुजफ्फरपुर शहर से लेकर दिल्ली तक में सुनाई पड़ने लगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैम्पस स्थित विवेकानंद की मूर्ति, जो ऐसे आयोजनों का केंद्रबिंदु है, पर 20-25 छात्रों के द्वारा सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया गया।  ----मुजफ्फरपुर, दिल्ली में हुए छात्रों के इस प्रदर्शन से हरकत में आई पुलिस में थोड़ी खलबली मची। आलाधिकारी घर पहुंचे और पुरे मामले की छानबीन की। कई टीमे गठित की गई।

11) नवरुणा को लेकर जब अचानक शहर में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया, प्रतिदिन कैंडल मार्च आयोजित होने लगे और प्रशासन थोडा सक्रिय हुआ तो दिल्ली में 12 वर्षीया इस मासूम के शुभचिंतक  छात्रों ने फेसबुक पर चलाये जा रहे कैम्पेन को जमीं पर उतारते हुए 4 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने का निश्चय किया।
-------4 नवम्बर को फेसबुक, मैसेज के माध्यम से ही दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, IIMC, IIT सहित अनेक संस्थानों के तकरीबन 60-70 छात्र-छात्राएं जंतर मंतर पहुंचकर अपना विरोध जताया और तुरंत नवरुणा की सकुशल घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए सरकार से ठोस कारवाई करने की मांग की।
 
11) सेव नवरुणा की मांग कर रहे हम छात्रों को बहुत उम्मीद थी कि 4 नवम्बर के प्रदर्शन के बाद बहुत जल्द सरकार हरकत में आएगी और इस बच्ची को खोजकर उसके माँ-बाप को सौंपेगी। लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा। प्रदर्शन के अगले ही दिन मुजफ्फरपुर से इस अपहरण मामले की जाँच कर रहे अनुसंधानकर्ता अमित कुमार का फोन प्रदर्शन कर रहे एक छात्र अभिषेक रंजन के पास 5 नवम्बर को सुबह 11 बजे के करीब  आया जिसमे पुलिस इस मामले में क्या कर रही है, यह बताने के लिए मिलने की बात कही गई। शाम के करीब 6र:30 में लॉ फैकल्टी में जब अमित कुमार पहुंचा तो जानकारी सेव नवरुणा कैम्पेन चला रहे सभी छात्रों के सामने देने की वजाए अकेले में बुलाकर अभिषेक को ले गया। अकेले में ले जाकर जब प्रदर्शन आयोजित करने को लेकर नाराजगी जताने और धमकी देने लगा तब पुरे बातचीत को रिकॉर्ड करने के लिए अभिषेक ने अपने मोबाइल के रिकॉर्डर को ऑन कर दिया। लगभग 25 मिनट की इस रिकार्डेड बातचीत में पुलिस ने मधुबनी कांड का हवाला देते हुए यहाँ तक कह गई कि अंत में जो-जो इस मामले में प्रदर्शन कर रहे है, उन्हें परेशान होना पड़ेगा। बातचीत के क्रम में प्रदर्शन रोकने, उच्च अधिकारीयों से नही मिलने का भी फरमान सुनाया गया। अभिषेक से जब घर का पता लेने की कोशिश की गई तो उसने विरोध किया और पता देने से इंकार कर दिया। इसपर अमित कुमार का कहना था कि ऐसा वह उच्च अधिकारीयों के कहने पर कर रहे है।

12) 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल की गई जिसमे इस अपहरण की गुत्थी सुलझाने के साथ साथ प्रतिदिन 10 से 12 के बिच हो रहे अपहरण के मामले पर माननीय न्यायलय से संज्ञान लेते हुए करवाई करने की अपील की गई।

13) 31 अक्टूबर: सीआइडी टीम पहुंची नवरुणा के घर.

14) 19 नवम्बर: शहर में बंद करने के एलान के बाद एसएसपी ने फिर 15 दिन में बरामद करने की बात कही और बंद के कॉल को वापस लेने पर स्थानीय सामाजिक-राजनितिक कार्यकर्ताओं को मजबूर किया।

14) जवाहरलाल रोड स्थित नवरुणा के घर के पास की नाली की सफाई( 26 नवंबर) के दौरान एक कंकाल दो थैलीयो में बरामद। दो दिनों बाद एक कटी हुई हाथ के टुकड़े, खून के धब्बे मिले। अज्ञात के विरुद्ध 302 के तहत मुकदमा( न. 640/12, दिनांक-26.11.2012)। कंकाल के प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे किसी व्यस्क का माना। मीडिया रिपोर्ट में एसएसपी ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि कंकाल किसी बड़े व्यक्ति का है। कंकाल मिलने के समय कुछ लोगो ने कहा कि यह शहर में आग लगाने के लिए रच गया षड़यंत्र का हिस्सा था लेकिन मुजफ्फरपुर के लोगो ने धैर्य का परिचय दिया। ----गौरतलब है कि इस कंकाल के मिलने के बाद अचानक नवरुणा को ढूंढ़ निकालने के वादे करनेवाले पुलिस अधिकारीयों का रुख ही बदल गया। सब कंकाल के पीछे पड़ गए।------भारत का यह पहला मामला होगा जहाँ कंकाल घर के समीप बरामद होते ही पुलिस डीएनए टेस्ट के लिए सैम्पल लेने के लिए दबाब बनाना शुरू कर दी। कंकाल के सम्बन्ध में कुछ जानकारी, जैसे उम्र, लिंग, हत्या की अनुमानित तिथि आदि की जानकारी बगैर कैसे पुलिस टेस्ट के लिए कह सकती थी जबकि अभीतक फोरेंसिक जाँच की रिपोर्ट भी नहीं आई थी।      

14) प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, सभी जगहों से मुख्य सचिव/DGP से जबाब माँगा गया।  

15) सुप्रीम कोर्ट ने 07 जनवरी, 2013 को भारत सरकार, बिहार सरकार को नोटिस जारी कर पुरे मामले में जबाब माँगा है। 25 फरवरी डेट था जो अब 22 अप्रैल हो गया है।


इस विडियो को ध्यान से देखिए ....http://www.youtube.com/watch?v=COOej5o_4Co,

इन दो रिपोर्ट को देखे--

जांच व बयान के बीच मासूम की जान

Sat, 29 Dec 2012 
http://www.jagran.com/bihar/muzaffarpur-9989036.html

सीबीआइ को ही सेंपल देंगे नवरुणा के पिता

Sat, 29 Dec 2012

नवरुणा को खोजने के लिए दर्जन भर अधिकारियों को लगाया गया। पुलिस की टीम ने शहर व आस-पास के जिलों के अलावा दिल्ली, कोलकाता व हावड़ा जाकर जांच की। नवरुणा व उसके परिवार के हर कनेक्शन को खंगाला गया। परिजनों ने भूमि माफियाओं का नाम लिया। दो पड़ोसी सहित एक रिश्तेदार सुदीप चक्रवर्ती के भी घटना में लिप्त होने की बात कही। सभी पकड़े गए। जेल भेजे गए। रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की गई। लेकिन अंत में हुआ अभीतक क्या ? जबाब है कुछ नहीं। मुजफ्फरपुर से लेकर दिल्ली तक के छात्रों को, जो लोकतान्त्रिक तरीके से नवरुणा के लिए आवाज उठा रहे थे, उनके मुहं बंद करने की कोशिश क्यों की गई पुलिस द्वारा?  

पुरे प्रकरण को लेकर मन में कुछ सवाल बार बार उठता है कि-

(1) नवरुना के घर के समीप मिले कंकाल और फोरेंसिक जाँच को भेजी गयी कंकाल क्या एक थे या अलग अलग ?---क्यूंकि कंकाल के प्रत्यक्षदर्शी कंकाल के किसी बड़े व्यक्ति का होने की बात कह रहे थे, जिसकी पुष्टि स्थानीय अखबारों ने भी की है। खून के धब्बे, कटी हुई हाथ आखिर किसका था? 

(2) कंकाल मिलने के साथ ही पुलिस तत्काल जाँच के लिए परिजन पर क्यूँ दबाब बनाना शुरू कर दिया जबकि फोरेंसिक रिपोर्ट आई भी नहीं थी ?

(3) अभीतक कंकाल घर के समीप डालने वाले तक पुलिस क्यूँ नहीं पहुँच पाई है ?

(4) जब से कंकाल मिला है तबसे नवरुना के सुरक्षित घर लौटने के आश्वासन देने की वजाए इस प्रकार का माहौल क्यों बनाया जा रहा है कि कंकाल नवरुना का ही है ?

(5) अभीतक नवरुना के घर लौट आने के दावें करने वाला प्रशासन अचानक कंकाल तक ही अपनी जाँच को क्यों सिमित कर दिया है ??

 (6) 12 वर्षीया नवरुना के अपहरण की शिकायत दर्ज करवाने के बाद मामले में तुरंत करवाई क्यों नहीं की गई ?

(7) क्या प्रेम प्रसंग का मामला बताकर पुलिस मामले को दबाना चाहती थी ?

(8) फोरेंसिक जाँच अपहरण के तुरंत बाद क्यों नहीं की गयी जबकि पूरा मामला शुरुआत से ही भूमि विवाद से बताया जा रहा था ?

(9) दिल्ली में सेव नवरुना कैम्पेन चला रहे छात्रों को धमकाने पुलिस क्यों आई थी और किसके कहने पर आई थी ?

(10) मामले की जाँच कर रहे अधिकारी को बार बार क्यों बदला गया ??

(11) बिहार सरकार का कोई प्रतिनिधि अभीतक पीड़ित परिवार से क्यों नहीं मिला ??  

 इन सब बातों के बाबजूद हमें उम्मीद है कि नवरुना अपने घर जरुर आएगी। हमारा प्रयास विफल नहीं होगा। मुझे बहुत खुशी होगी जब माननीय सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार, बिहार सरकार और बिहार के DGP नवरुना केस की रिपोर्ट की वजाए नवरुना को लेकर कोर्ट में पेश होंगे !

...आशा है, बिहार पुलिस, बिहार सरकार सेव नवरुना अभियान को अपने विरोध में न मानकर, एक बेटी को बचाने के अभियान के तौर पर लेगी और देश की एक बेटी को बचाने का काम करेगी। हमारा विश्वास नहीं टूटेगा, इसका पूरा भरोसा हमें है।
आपका सहयोग अपेक्षित है। हो सकें तो आप भी कुछ एक बेटी के लिए!  

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