प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग(DoPT), भारत सरकार ने नवरूणा केस पर उपर्युक्त कारवाई करने के लिए सीबीआई निदेशक को चिठ्ठी लिखी है.
गौरतलब हो कि देशभर से आ रहे निवेदन, चिठ्ठियों, ईमेल और नवरूणा के परिजनों व शुभचिंतकों द्वारा लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाजा खटखटाने की वजह से पीएमओ न केवल नवरूणा मामले में सक्रीय हुआ है बल्कि उसने 4 चिठ्ठियाँ भी राज्य सरकार को भेजी. यहाँ तक कि पीएमओ के अधिकारीयों ने बिहार के संबंधित अधिकारीयों को फ़ोन भी किया लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई! अंत में थक हारकर पीएमओ ने पांचवी चिठ्ठी "कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग(DoPT)" (जिसके अन्दर सीबीआई काम करती है और जो सीबीआई को किसी मामले में जाँच करने या न करने की सलाह/निर्देश देती है) को चिठ्ठी भेजकर उपर्युक्त कारवाई करने को कहा. पीएमओ की चिठ्ठी के आलोक में सीबीआई निदेशक के पास कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग(DoPT) ने चिठ्ठी भेजी है, जिसमे उपर्युक्त कारवाई करने का निर्देश दिया गया है .
विदित हो कि 18 सितम्बर 2012 से अगवा नवरूणा का अबतक सुराग नही लगा है. नवरूणा मामले की जाँच से लेकर कारवाई करने तक, बिहार सरकार और वहां की पुलिस पूरी तरह विफल रही है. शुरुवात में प्रेम प्रसंग की बात कहकर जाँच से इनकार करने वाली पुलिस लगातार विरोध प्रदर्शन के बाद सक्रीय तो हुई लेकिन उसकी जाँच किसी नतीजे तक नही पहुंची है. व्यापक विरोध के चलते मामले को सीआईडी को सौंप दिया गया लेकिन वह भी 7 महीने बाद किसी परिणाम तक नही पहुंच पाई है. आज तो स्थिति ऐसी है कि मामले की जाँच कर रहे सभी अधिकारीयों का या तो तबादला हो गया या प्रोन्नत हो गए है. क्या जाँच हो रही है? कबतक जाँच पूरी होगी? नवरूणा जिन्दा है भी या नही? कौन लोग शामिल थे? इतनी देरी क्यों हो रही है? लगातार जाँच अधिकारीयों को क्यों बदला जाता रहा? जैसे सवाल प्रासंगिक नही रहे. यहाँ तक कि नवरूणा और उसके परिजनों की कोई खोज खबर लेने, जाँच की प्रगति बताने की कोशिश भी सरकार व पुलिस के अधिकारीयों की तरफ से नही होती.
नवरूणा मामले में शुरुआत से राज्य सरकार लगातार उदासीन बनी हुई है. एक अख़बार की रिपोर्ट और आम चर्चा से ऐसा माना जाता है कि इस केस में बड़े पुलिस अधिकारीयों की संलिप्तता है और भू माफियाओं को संरक्षण देने वाले राजनेताओं के इशारे पर इसकी जाँच ठीक से नही हो रही है. यहाँ तक कि मुजफ्फरपुर से लेकर दिल्ली तक नवरूणा के लिए आवाज उठानेवाले, विरोध करने वाले शुभचिंतकों को जबरदस्ती चुप कराने की कोशिश की गई, उन्हें उच्च अधिकारीयों के आदेश पर धमकाया गया. सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में भी अबतक की हुई जाँच में विफलता ही सामने आई है.
भू माफिया के आतंक के साए में जी रहे मुजफ्फरपुर में पिछले दिनों कई घटनाएँ घट गई लेकिन किसी भी मामले में कोई ठोस कारवाई नही हुई. कहना मुश्किल नही कि कही न कही अपराधियों के हौसले बुलंद है और वे खुलेआम लोगों की संपत्तियां कब्जें में ले रहे है और पुलिस, सरकार मूक दर्शक बने हुए है. नवरूणा अपहरण काण्ड भी उसी कड़ी का हिस्सा मात्र है. पिछले 11 महीने में पुलिस और सरकार की निष्क्रियता, विफलता से हमें राज्य सरकार व उसकी व्यस्था पर यकीं होने लायक कुछ भी नही बचा है.
इस परिस्थिति में पीएमओ द्वारा भेजी गई चिठ्ठी पर सीबीआई से कुछ कारवाई होने की आस शुभचिंतकों व परिजनों में जगी है. शुरुआत से ही हम सीबीआई जाँच की मांग करते रहे है. इस चिठ्ठी से हमारी मांग को एक नई उम्मीद मिली है. हमें भरोसा है, सीबीआई जल्द से जल्द इस केस को अपने हाथों में लेकर नवरूणा को ढूंढ निकालेगी.
"स्टूडेंट्स फोरम फॉर सेव नवरूणा"
कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग द्वारा सीबीआई को भेजी गई चिठ्ठी |
पीएमओ द्वारा कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग को भेजी गई चिठ्ठी |
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