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Thursday, 31 January 2013

कंकाल के मायाजाल में फंसी नवरुणा अपहरण कांड की गुत्थी


डीएनए टेस्ट के नामपर लोगो को बरगलाने में लगी है पुलिस, 
अपहरण कांड को दबाना चाहती है बिहार सरकार 

18 सितम्बर, 2012 को मुजफ्फरपुर शहर से नवरुणा के अपहरण हुए 135 दिन हो गए, लेकिन अबतक उसका पता नही चल पाया है। 7वी कक्षा में पढनेवाली बंगाली मूल की 12 वर्षीय नवरुणा की सुरक्षित घर वापसी हेतु राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग सहित सुप्रीम कोर्ट तक में गुहार लगाई जा चुकी है। तमाम पुलिसिया आश्वासनों के बावजूद नतीजा शून्य है। दुर्भाग्य तो यह है कि सुशासन की पुलिस एक सुराग तक ढूंढ़ नहीं पाई है। इसी बीच तक़रीबन 67 दिन बीतने के बाद 26 नवंबर, 2012 को अचानक इस अपहरण कांड में एक नया मोड़ आ जाता है और नाटकीय अंदाज में  नवरुणा के घर के समीप एक कंकाल बरामद हो जाती है।  पहले प्रेम प्रसंग, फिर दबाब बढ़ने पर अपहरण की बात करने वाली पुलिस एकाएक नवरुणा के घर के समीप मिले कंकाल को नवरुणा का होने की बात को लेकर इतना ज्यादा सक्रिय हो जाती है कि अनुसन्धान का मतलब सिर्फ मेडिकल टेस्ट हो जाता है। प्रतिदिन बेटी की बरामदगी के वादे करनेवाले पुलिस अधिकारी इस कंकाल के मिलने के बाद चुप्पी साध लेते है। आज स्थिति यह है कि हर तरफ नवरुणा केस का जिक्र आते ही ""डीएनए टेस्ट परिजन क्यों नहीं दे रहे है"" के सवाल गूंज रहे है। मर्यादित रूप से सवाल उठाना, लोकतांत्रिक विचारो की अभिव्यक्ति का ही एक रूप है जो न्यायसंगत भी है और जरुरी भी। लेकिन सवाल उठाने के नामपर पुरे प्रकरण को एक गलत दिशा देना सर्वथा अनुचित है। शायद  नवरुणा का अपहरण करनेवाले व अपहरण के षड्यंत्रकर्ता भी यही चाहते है कि अपहरण की बात भूलकर लोग इधर उधर की बातों में उलझे रहे। 
इससे पहले की और कुछ कहा जाए पुरे मसले को समझना बहुत जरुरी है। हुआ यूँ कि जवाहरलाल रोड स्थित नवरुणा के घर के पास की नाली की सफाई के दौरान 26 नवंबर को एक कंकाल दो थैलीयो में बरामद हुआ। बहुत कम चौड़ी नाली में मिली इस कंकाल ने अचानक पुरे अनुसन्धान की दिशा मोड़ दी। कंकाल के प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे किसी व्यस्क का माना। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एसएसपी ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि कंकाल किसी बड़े व्यक्ति का है।(http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2012-11-27/patna/35386850_1_human-skeleton-gunny-bag-drain इसी नाली से दो दिनों बाद एक कटी हुई हाथ के टुकड़े, खून के धब्बे मिले। अज्ञात के विरुद्ध दफा 302 के तहत मुकदमा ( न. 640/12, दिनांक-26.11.2012) दर्ज हुआ। नवरुणा के पिता को एसएसपी ने कंकाल की जब तस्वीरे दिखाई तब उन्होंने इसे अपनी बेटी का होने से पूरी तरह इंकार किया और इसे साजिश के तहत की गई करतूत बतलाया।  कंकाल मिलने के समय कुछ लोगो ने यह भी कहा कि यह शहर में मधुबनी कांड की तरह आग लगाने के लिए रचे गए षड़यंत्र का हिस्सा था लेकिन मुजफ्फरपुर के लोगो ने धैर्य का परिचय दिया और शहर में  शांति बनी रही ।
कंकाल के मिलने के बाद अचानक नवरुणा को ढूंढ़ निकालने के वादे करनेवाले पुलिस अधिकारीयों का रुख ही बदल गया। सब कंकाल के पीछे पड़ गए। हद तो तब हो गयी जब कंकाल मिलते ही अप्रत्यक्ष तरीके से यह मान लिया गया कि यह नवरुणा का ही है।  यहाँ तक कि  भारत का यह पहला मामला होगा जहाँ कंकाल घर के समीप बरामद होते ही पुलिस डीएनए टेस्ट के लिए सैम्पल लेने के लिए दबाब बनाना शुरू कर दी। सवाल उठता है कि कंकाल के सम्बन्ध में कुछ जानकारी, जैसे उम्र, लिंग, हत्या की अनुमानित तिथि आदि की जानकारी बगैर कैसे पुलिस टेस्ट के लिए कह सकती थी जबकि अभीतक फोरेंसिक जाँच की रिपोर्ट भी नहीं आई थी।  इस बात की पुष्टि एसएसपी द्वारा प्रभात खबर को 30 नवंबर को दिए इस इंटरव्यू से भी होती है, जिसमे टेस्ट लेने के लिए कोर्ट का आदेश लेने की बात एसएसपी राजेश कुमार ने कही थी।





इसके अलावा यह भी सुनने में आया है कि कंकाल के साथ बरामद खोपड़ी देखने से लगभग एक वर्ष पुराना लगता था। अगर उसमे से मिटटी निकाला जाता तो तक़रीबन आधे किलो मिटटी के अंश पाए जाते। 

कंकाल मामले में एक नया मोड़ तब आया जब प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट ने इस बात पर मुहर लगाने का काम किया कि कंकाल नवरुणा का नही है बल्कि 30-40 साल के किसी व्यस्क का है । सूत्रों के हवाले से 2 दिसंबर, 2012 को छपी अख़बार के पहले पृष्ठ की इस पहली  खबर में यह दावा किया गया था कि कंकाल 30 से 40 साल के किसी व्यक्ति का है। यह खबर 2 बार छपी। 

ऐसे में यह सवाल उठाना क्या गलत होगा कि जो तथाकथित फोरेंसिक जाँच की रिपोर्ट गोपनीय तरीके से ही सही सार्वजनिक हुई है, वह गलत है, झूठी है ? अगर प्रभात खबर में छपी खबर झूठी थी तो दो सवाल उठते है; पहला, क्या ऐसे संवेदनशील मामलो में कोई अख़बार अपनी लीडिंग स्टोरी बिना किसी तथ्य के छाप सकता है ? दूसरा, पुलिस ने इसका खंडन क्यों नहीं किया?  

इस प्रकार देखा जाए तो लगता है कि सुनुयोजित तरीके से इस अपहरण कांड की पूरी स्क्रिप्ट पहले ही रची जा चुकी थी जिसका एकमात्र मकसद महज ज़मीन के लिए इंसानियत को गिरवी रखना था।

पुरे प्रकरण को लेकर मन में कुछ सवाल बार बार उठता है कि- 
 
(1) नवरुणा के घर के समीप मिले कंकाल और फोरेंसिक जाँच को भेजी गयी कंकाल क्या एक थे या अलग अलग ? क्यूंकि कंकाल के प्रत्यक्षदर्शी कंकाल के किसी बड़े व्यक्ति का होने की बात कह रहे थे, जिसकी पुष्टि स्थानीय अखबारों ने भी की है। 

 (2) निदान, जिसके जिम्मे शहर की सफाई है, के कर्मचारी इतने सुबह किसके कहने पर उसके घर के पास सफाई करने पहुंचे थे ? सफाई करना वही से क्यों प्रारंभ किया जहाँ से कंकाल मिला ?  

 (3) नाली से बरामद खून के धब्बे, कटी हुई हाथ आखिर किसका था? 

 (4) कंकाल मिलने के साथ ही पुलिस तत्काल जाँच के लिए परिजन पर क्यूँ दबाब बनाना शुरू कर दिया जबकि फोरेंसिक रिपोर्ट आई भी नहीं थी? 

 (5) अभीतक कंकाल घर के समीप डालने वालों तक पुलिस क्यूँ नहीं पहुँच पाई है ?  

(6) जब से कंकाल मिला है तबसे नवरुणा के सुरक्षित घर लौटने के आश्वासन देने की वजाए इस प्रकार का माहौल क्यों बनाया जा रहा है कि कंकाल नवरुना का ही है ?             

(7) अभीतक नवरुणा के घर लौट आने के दावें करने वाला प्रशासन अचानक कंकाल तक ही अपनी जाँच को क्यों सिमित कर दिया है ? 

(8) फोरेंसिक जाँच रिपोर्ट आने में एक महीने का समय क्यों लगा, जबकि यह महज चंद घंटों या दिनों में हो सकता था ?  

(9) फोरेंसिक जाँच रिपोर्ट परिजनों या मीडिया को क्यों नहीं दिखाया गया ? 

(10) जब CID को जाँच का जिम्मा सौंपा गया तो वह लड़की को खोजने की वजाए टेस्ट की बात क्यों कर रही है ?  

(11) जब नवरुणा के परिजन स्थानीय अदालत के आदेश को उपरी अदालत में चुनौती देने की बात लगातार कर रहे है, फिर पुलिस लगातार दबाब क्यों बना रही है ? अगर उसे फोरेंसिक रिपोर्ट पर भरोसा है तो वह उपरी अदालत से समान आदेश के लिए निश्चिंत रहे।

इसके अलावा भी कुछ सवाल है जिनका उत्तर नवरुणा के शुभचिंतक जानना चाहते है :-  
(1) 12 वर्षीया नवरुणा  के अपहरण की शिकायत दर्ज करवाने के बाद मामले में तुरंत करवाई क्यों नहीं की गई? करवाई में हुए देरी के लिए किसी को दंडित क्यों नहीं किया गया या उससे अभीतक पूछताछ क्यों नहीं की गयी देरी होने के सम्बन्ध में? हो सकता है जाँच में देरी किसी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके करवाया हो! अगर यह पता चल जाए तो अफरंकर्ताओ तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।  

(2) क्या प्रेम प्रसंग का मामला बताकर पुलिस मामले को दबाना चाहती थी? 

(3) फोरेंसिक जाँच अपहरण के तुरंत बाद क्यों नहीं की गयी जबकि पूरा मामला शुरुआत से ही भूमि विवाद से बताया जा रहा था ? 

(4) दिल्ली में सेव नवरुणा कैम्पेन चला रहे छात्रों को धमकाने पुलिस क्यों आई थी और किसके कहने पर आई थी ?  

(5) मामले की जाँच कर रहे अधिकारी को बार बार क्यों बदला गया ?  

(6) बिहार सरकार का कोई प्रतिनिधि अभीतक पीड़ित परिवार से क्यों नहीं मिला ?  

(7) कुछ औपचारिकाताओ को छोड़ दें तो सभी राजनितिक दल अभीतक क्यों चुप्पी साधे हुए है? क्या उनपर दबाब है ?  

(8) बार-बार परिजनों द्वारा सहयोग न करने की बात क्यों कही जा रही है जबकि जो जानकारी हमें मिली है, उसके मुताबिक वे लगातार पुलिस के संपर्क में है और हर छोटी-बड़ी जानकारी तुरंत पुलिस से शेयर करते है। आज भी सबसे ज्यादा यकीन  उनका मीठी मीठी बातें करके अबतक झूठी दिलशा देनेवाले एसएसपी पर ही है।  

 (9)मुजफ्फरपुर से लेकर दिल्ली तक के छात्रों को, जो लोकतान्त्रिक तरीके से नवरुणा के लिए आवाज उठा रहे थे, उनके मुहं बंद करने की कोसिस क्यों की गई पुलिस द्वारा?  

(10) परिजनों ने अपहरण के तुरंत बाद ही भूमि माफियाओं का इसमें हाथ होने की बात कही और इस अपहरण के मूल को शुरुआत से ही ज़मीन को माना, फिर पुलिस यह सवाल क्यों उठाती रहती है कि परिजनों ने ज़मीं विवाद की बात छुपाई ।

जब से इस इस केस पर हमने काम करना शुरू किया तबसे लगातार यह सुनने में आता था कि नवरुणा को खोजने के लिए दर्जन भर अधिकारियों को लगाया गया है। पुलिस की टीम ने शहर व आस-पास के जिलों के अलावा दिल्ली, कोलकाता व हावड़ा जाकर जांच की है। नवरुणा व उसके परिवार के हर कनेक्शन को खंगाला गया।  कुछ लोग शक के आधार पर पकड़े भी गए। जेल भेजे गए। रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की गई। लेकिन अंत में हुआ अभीतक क्या? जबाब है कुछ नहीं। 

इन परिस्थितियों में, पुलिस और राज्य सरकार के नुमयिन्दो को डीएनए टेस्ट न देने सम्बन्धी परिजनों का फैसला बिलकुल उचित है। पुलिस को टेस्ट देने के लिए दबाब बिल्कुल नहीं बनाना चाहिए। दबाब की स्थिति में परेशान करने की शिकायत कोर्ट में दर्ज करवाई जा सकती है। परिजन हमेशा टेस्ट देने की बात करते है लेकिन वे टेस्ट सिर्फ सीबीआई को ही देंगे, इस बात में दम है। लोगो को चाहिए कि नवरुणा के बहादुर परिजनों का साथ दे। 

पूरी उम्मीद है कि आगामी 25 फ़रवरी को जब सुप्रीम कोर्ट में नवरुणा मामले की सुनवाई होगी तो कोर्ट नवरुणा को तुरंत कही से भी ढूंढ़कर लाने का आदेश देगी। नवरुणा के शुभचिंतक के नाते हम फिर से बिहार सरकार से विनम्र आग्रह करते है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले वह बिना देरी किए तुरंत अपहरण के इस मामले को सीबीआई को सौंपे। विश्वास है, नवरुणा के साथ न्याय होगा। हम अंतिम दम तक नवरुणा के न्याय के लिए लड़ते रहेंगे।


दो मीडिया कटिंग साथ में संलग्न है, जो पुरे विषय को समझने में मदद करती है :-





डीएनए टेस्ट से क्यों इंकार कर रहे हैं लापता नवरुणा के मां-बाप

दैनिक भास्कर.कॉम | अजय कुमार  |  Jan 16, 2013, 12:12PM IST


पटना/मुजफ्फरपुर। आखिर क्या वजह है कि अतुल्य चक्रवर्ती और मैत्री चक्रवर्ती अपने ब्लड सैंपल देने से इंकार कर रहे हैं? इस सवाल का जवाब भले ही किसी के पास नहीं हो, चक्रवर्ती दंपति का कहना है कि उनकी बेटी जिंदा है और पुलिस किसी न किसी तरह उनके खिलाफ ही साजिश कर रही है। अतुल्य चक्रवर्ती खुद अब सुप्रीम कोर्ट जाकर मामले की सीबीआई की जांच कराने की मांग करने वाले हैं।
यह लड़की है मुजफ्फरपुर की नवरुणा चक्रवर्ती। वह पिछले 19 सितंबर से लापता है। उसे तलाशने की बहुत कोशिश की गयी। लेकिन नहीं मिली। पुलिस की भूमिका इस लिहाज से हैरान करने वाली रही कि उसने जांच को लेकर विरोधाभाषी व्यवहार किया। कभी नवरुणा की बरामदगी के लिए पुलिस टीम के गठन की बात कही गयी तो कभी सीआइडी के जिम्मे मामले को सौंपने की बात कही गयी। हालांकि, नवरुणा के माता-पिता मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग दोहराते रहे हैं। नवरुणा की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय भूमि माफियाओं की भूमिका कही जाती है।

एडीजी गुप्तेश्वर पांडेय के दो दिसंबर को इस मामले की सीआईडी जांच की सिफारिश की थी और 15 जनवरी को सीआईडी की टीम नवरुणा के माता-पिता से पूछताछ के लिए उसके घर गयी। अतुल्य चक्रवर्ती कहते हैं: इसी से पुलिस की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। पुलिस ऐसे व्यवहार कर रही है जैसे मेरी बेटी नहीं, सूटकेस गुम हो गया हो और उसकी तलाश वह कर रही है। इस बीच पुलिस ने नवरुणा के घर के पास से बरामद एक कंकाल को लेकर जांच की दिशा बदल दी। उसने नवरुणा के माता-पिता का ब्लड सैंपल लेने की कोशिश की। पर चक्रवर्ती दंपति ने उसे देने से इंकार कर दिया। पुलिस कोर्ट गयी। कोर्ट ने सैंपल देने का निर्देश दिया। पर नवरुणा के माता-पिता कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार अपील में चले गये। इस बीच तीन बार पुलिस मैत्री चक्रवर्ती और अतुल्य चक्रवर्ती का ब्लड सैंपल लेने गयी। हर बार पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। वह कहते हैं कि पुलिस पहले कंकाल मामले पर फॉरेंसिक रिपोर्ट दे।

अब सवाल उठ रहा है कि सब कुछ के बावजूद नवरुणा के माता-पिता ब्लड सैंपल देने से क्यों इंकार कर रहे हैं? पुलिस का संकेत खुद अतुल्य चक्रवर्ती ही जाहिर कर देते हैं। उनका कहना है कि पुलिस हमें फंसाना चाहती है। वह अपनी नाकामी पर चादर डालना चाहती है।




No faith in State police, Navruna case must be handover to CBI

130 दिन से ज्यादा बीतने के बाद भी नवरुणा का कुछ सुराग पता लगा पाने में बिहार की पुलिस नाकाम रही है।  नवरुणा के परिजन, शुभचिंतक शुरुआत से ही बिहार पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में पाते हुए सीबीआई जाँच की मांग कर रहे है लेकिन सरकार इस मांग पर अपनी चुप्पी साधे हुए है। सीबीआई जाँच की मांग सभी राजनीतिक दलों के लोग कर चुके है। स्थानीय विधायक सुरेश शर्मा (देखे-https://www.youtube.com/watch?v=Pef0jQdGOHg ) से लेकर सभी राजनीतिक दल, विशेषकर विपक्ष इस मांग को लगातार दुहराता रहा है कि इस अपहरण की गुत्थी सुलझाने में सीबीआई से ही थोड़ी बहुत उम्मीद बची है इसलिए जल्द से जल्द सीबीआई को जाँच का जिम्मा सौंप दिया जाए। लेकिन सरकार परिजनों, शुभचिंतको की बात तो दूर राजनीतिक वर्ग के भी मांग को अनसुना कर रही है। 


राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने नवरुणा मामले की जाँच सीबीआई से कराने की मांग 9 दिसंबर को ही की। इस सम्बन्ध में 10 दिसंबर, 2012 को दैनिक हिंदुस्तान में छपी खबर की प्रति संलग्न है :


भाकपा माले के नेता दीपंकर भट्टाचार्य सहित राज्य स्तर के अनेक नेता सीबीआई की मांग दुहराते रहे है। इस सम्बन्ध में 9 दिसंबर की एक रिपोर्ट 


 लोजपा नेता भी मामले की तह तक पहुँच 12 वर्षीया नवरुणा को खोजने में नाकाम रही पुलिस की निष्क्रियता को देखते हुए सीबीआई की मांग करते रहे है। इस सम्बन्ध में 10 दिसंबर, 2012 को हिंदुस्तान में छपे एक खबर की कटिंग :-

इसके अलावा स्थानीय समाजसेवी, यथा गाँधी शांति प्रतिष्ठान, अग्रणी स्वाभिमान, द्वारा सीबीआई की मांग दुहराया जाता रहा है.

Wednesday, 16 January 2013

Prayer for navaruna

 फेसबुक न केवल सेव नवरुणा कैम्पेन को चलाने में मदद कर रहा है बल्कि वह नवरुणा के लिए प्रार्थना करने, अपनी आवाज उठाने का केंद्र भी बना है। 


नवरुणा के सहपाठियों ने भी अपनी आवाज उठाई।











Wednesday, 9 January 2013

Supreme court order on Navruna case


ITEM NO.12               COURT NO.6             SECTION PIL


            S U P R E M E   C O U R T   O F   I N D I A
                         RECORD OF PROCEEDINGS
           WRIT PETITION (CRL.) NO(s). 178 OF 2012
                                          [FOR PREL. HEARING]

ABHISHEK RANJAN KUMAR & ORS.                      Petitioner(s)

                 VERSUS

UNION OF INDIA & ORS.                             Respondent(s)

(With appln(s) for exemption from filing O.T.)

Date: 07/01/2013  This Petition was called on for hearing today.


CORAM :
        HON'BLE MR. JUSTICE R.M. LODHA
        HON'BLE MR. JUSTICE ANIL R. DAVE



For Petitioner(s)         Mr. D. Vidyanandan, Adv. for
                     Mr. V.N. Raghupathy,Adv.


For Respondent(s)

           UPON hearing counsel the Court made the following
                               O R D E R

                 The respondent No.2 - Union Home Minister of India  -   is
       deleted from the array of parties.
                 Issue notice to respondent Nos. 1,3 and 4 only  returnable
       in six weeks.
                 Notice to respondent No. 1   shall  be  sent  through  the
       Secretary, Ministry of Home, Government  of  India,  New  Delhi  and
       notice to State of Bihar (respondent No. 3) shall  be  sent  through
       the Secretary, Department of  Home  Affairs,  Government  of  Bihar,
       Patna.
                 Dasti, in addition to the ordinary process.




       |(Pardeep Kumar)                        | |(Renu Diwan)                          |
|Court Master                           | |Court Master                          |




link is-http://courtnic.nic.in/supremecourt/temp/wr%2017812p.txt


Navruna case : Local Media reports expose police inaction during initial stage of Navruna kidnapping.

मुजफ्फरपुर की स्थानीय मीडिया में छपे खबर बताते है कि किस प्रकार शुरुआत में पुलिस करवाई के आश्वासनों के सहारे मामले में ढील बरतती रही। जब नवरुना के परिजनों ने आत्महत्या की धमकी दी और मुजफ्फरपुर से लेकर दिल्ली तक जब आवाज उठनी शुरू हुई, तब पुलिस हरकत में आई। आला अधिकारी सक्रीय हुए। निचे देखे :




आत्महत्या की धमकी देने के बाद मुजफ्फरपुर के एसएसपी ने वादा किया था कि आपकी बेटी 24 अक्टूबर तक लौट आएगी। आश्वासन पाकर आत्महत्या करने का फैसला नवरुना के पापा ने टाल दिया लेकिन तय तिथि के एक दिन बीत जाने के बाद भी जब बेटी  घर नहीं लौटी तो नवरुना के पापा ने 8 नींद की गोलियां खाकर अपनी जान देने की कोसिस की। 

प्रभात खबर में 26 अक्टूबर, 2012 को छपी इस खबर में कई गंभीर सवाल उठाए गए है जो कही न कही इस पुरे मामले में पुलिसिया तंत्र की विफलता की पुष्टि करता है ।



स्थानीय अख़बारों को छोड़ दे तो नवरुना मामले में पहला रिपोर्ट बीबीसी ने ही लिखा। "बिहार का बेबस बाप और बेखबर सरकार" शीर्षक रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार पंकज प्रियदर्शी जी ने नवरुना के परिजनों का एक मार्मिक चित्रण किया लेकिन सरकार और पुलिस का कलेजा नही पसीजा।  
देखिए : full story at http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/10/121026_mujaffarpur_girl_arm.shtml.



इसी बीच नवरुना की एक दोस्त ने फेसबुक पर एक पेज बनाया, जिसपर शहर पर हलचल मच गई।  दिल्ली सहित पुरे देश में रहने वाले लोगो को जानकारी इसी खबर के द्वारा हुई। बाद में मालूम चला कि उस पेज को को बंद करवा दिया गया है। किसने बंद करवाया, यह भी आजतक पता नही चला। 



मीडिया में  खबर छपने व  फेसबुक पर पेज बनने के बाद शहर में प्रदर्शन होने शुरू हो गए। पहला प्रदर्शन अग्रणी संस्था ने किया।









विपक्ष के तरफ से भी थोड़ी बहुत सुगबुगाहट हुयी लेकिन सब शांत हो हो गए



दिल्ली में रह रहे छात्रों को जब इस घटना की जानकारी फेसबुक पेज और मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से मिली तो दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैम्पस स्थित विवेकानंद की मूर्ति के समीप 28 अक्टूबर को कैंडल मार्च किया और नवरुना मामले में तुरंत करवाई करने की मांग की।


दिल्ली में जब आवाज उठी तो प्रशासन हरकत में आई। आलाधिकारी नवरुना के घर पहुंचे।


Navruna still alive due to Social Media

1st news, related with Navruna case,  published in print media.


Daily Mail report on Save Navruna Movement, run by well wishers of Navruna through social media. 

Friends launch 'Save Navruna' Facebook page in desperate search for Bihar 12-year-old snatched from her bed.Read more: http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-2224968/Friends-make-Facebook-page-kidnapped-12-year-old-police-shows-indifference-search-missing-girl.html#ixzz2HTOxRiqP

Also See Ist report on Navruna published on BBC Hindi website--- http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/10/121026_mujaffarpur_girl_arm.shtml  

Now, due to facebook, more than 1090 wellwishers regularly upadte in Navruna case. All information available there to understand the whole pathetic issue.

Facebook link is: 

Tuesday, 8 January 2013

नवरुणा अपहरण मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

  1. केंद्र व बिहार सरकार को नोटिस जारी कर 6 हप्ते में माँगा जबाब.

    नई दिल्ली। 07 सितम्बर। बिहार के मुज़फ्फरपुर शहर से 18 सितम्बर से अपहृत 12 वर्षीया नवरुणा अपहरण मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट करेगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अभिषेक रंजन कुमार व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य की सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा और न्यायमूर्ति अनिल दवे की पीठ ने बिहार सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब तलब किया है।

    कोर्ट के समक्ष अपनी बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) की याचिका में याचिकाकर्ताओ ने नवरुणा को कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने, मामले की जाँच सीबीआई या किसी अन्य केंद्रीय जाँच एजेंसी से कराने, बिहार में बढ़ रही अपराधिक घटनाओ को रोकने हेतु केंद्र सरकार से कठोर कदम उठाने की अपील की गयी है।

    कोर्ट के समक्ष दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने बिहार में बढ़ रहे अपहरण, हत्या, बलात्कार सहित तमाम अपराधिक घटनाओ में वृद्धि पर अपनी चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

    विदित हो कि बिहार के मुजफ्फरपुर से बीते साल 18 सितम्बर की रात 12 वर्षीया स्कूली छात्रा नवरुणा का अपहरण कर लिया गया था। तमाम आश्वासनों के बाबजूद अब तक उसका कहीं पता नहीं चल पाया है। जिस तरीके से बिहार की पुलिस इस पुरे मामले में कम कर रही है और एक बेटी के अपहृत होने के 100 दिन बाद भी सरकार उदासीन होकर चुपचाप तमाशा देख रही है, उससे इस पुरे मामले में एक बड़े षड्यंत्र की बू आ रही है।

    हम याचिकाकर्ताओ का मानना है कि शुरुआत में प्रेम प्रसंग बताकर मामले को अगर नहीं लटकाया गया होता तो अबतक नवरुणा का पता चल गया होता। हमें उम्मीद है कि नवरुणा अपने घर जरुर लौटेगी। हमारी कोसिस भी हर हाल में नवरुणा को सुरक्षित घर लौटाने के लिए ही है।

Monday, 7 January 2013

Supreme Court will hear Navaruna Case, issued noticed to Union of India , Bihar govt.



Justice R M Lodha and Justice Anil R. Dave issued notice to Bihar Govt. and Union of India within 6 weeks. Item no.12, court no.6, dated 7/1/2013

IN THE SUPREME COURT OF INDIA
CRIMINAL ORIGINAL JURISDICTION
WRIT PETITION (CRL) NO. ___178_______OF 2012

[PETITION UNDER ARTICLE 32 OF THE CONSTITUTION OF INDIA READ WITH ARTICLES 21, 19, 14, 21A, 256, 257 and 356 OF THE CONSTITUTION IN PUBLIC INTEREST FOR A WRIT OF HABEAS CORPUS]

IN THE MATTER OF:
1.                 Abhishek Ranjan Kumar
With  Aaditya Kumar, Rahul Maurya, Nikhil Kumar.
         
Petitioners

Versus
1. Union of India,
                  2. Hon’ble Union Home Minister of India represented
3. Chief Secretary, Government of Bihar

4.       Shri Abhayanand, IPS
Director General of Police, Bihar
Police Headquarters, Old Secretariat,
Patna, Bihar-800015.

5.       Station House Officer
Town  Police station, Muzaffarpur,
Bihar.
6.       Sh. Amit Kumar Sub Inspector
and investigating Officer,
Town  Police station, Muzaffarpur,
Bihar.
7.       Resident Commissioner of Bihar
Stationed in Delhi, Kautilya Marg
Chanakaya Puri, New Delhi-110001.
Respondents.

PETITION UNDER ARTICLE 32 OF THE CONSTITUTION OF INDIA READ WITH ARTICLES 21, 19, 14, 21A, 256, 257 and 356 OF THE CONSTITUTION IN PUBLIC INTEREST FOR A WRIT OF HABEAS CORPUS FOR THE SAFE RETURN OF NAVARUNA A MINOR AGED 11YEARS, STUDENT OF 7TH CLASS ST. XAVIERS SCHOOL, MUZAFFARPUR.

SYNOPSIS
            The present writ petition places before this Hon’ble Court the kidnapping of Navaruna aged 11 years and a student of 7th Class studying St. Xaviers School Muzaffarpur in Bihar in intervening night of  18th and 19th 2012 from her bedroom. This family being a Bengali Speaking people are a linguistic minority in the State of Bihar. The S.H.O. Town police Station registered the case U/ss 364 and 366 IPC, but till now i.e. for over two months the child has not been recovered. The Investigation Officer came to Delhi and threatened the petitioners and the student community to stop their legitimate demonstrations or all will be arrested. The petitioners have recorded these threats and transcript forming part of the annexures alongwith a C.D. The petition is also supported by the official records of National Crime Reports Bureau (See Bihar police website) which puts kidnappings in Bihar for the years 2010 and 2011 above 4000 each year. The website of the Bihar Police has also put the figures of kidnappings in the State till August this year more than 3000 among which there are some, ransom demands, All these are official records. In addition the national and international print and electronic media has been reporting statements by some well known public men demanding the Chief Minister of the State of Bihar as to why his government is not able to recover the childand of the existing crime atmosphere in the State to which neither he nor any minister of his cabinet had spoken to the public whose confidence in governance of State is dwindling which is touted as Susashan i.e. good governance.

          The situation represents total failure of law and order which is the primary duty of the State of Bihar and the Union Government is duty bound to take necessary measures under the constitution and restore public order.

          The police allege that it is a case of elopement and also may be case of property dispute without producing on iota of evidence. The petition is filed purely in public interest without any private, personal interest or gain solely to save the child Navaruna and restore people’s faith in Rule of law.        



PRAYER

In view of the aforesaid facts and circumstances, it is most respectfully prayed that this Hon'ble Court may graciously be pleased to:

(a)     issue a writ of Habeas Corpus directing the respondents No. 3,4 and 5 to produce the minor child Navaruna before this Hon’ble Court;

(b)     issue direction to the Respondents No.1 and 2 to take the governance of the State of Bihar to curt crimes and restore law and order in the State protecting the life and liberty of Navaruna and also of the general public in that state;

(c)      direct the respondent No.1 and 2 to hand over the investigation of the present case to CBI or any other organization;

(d)     grant any other relief which the Hon’ble Court deems fit and proper in the circumstances of the case;

AND FOR THIS ACT OF KINDNESS THE PETITIONER AS IS DUTY BOUND SHALL EVER PRAY.