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Sunday, 31 March 2013

NHRC summons Bihar Police chief (DGP) in Navruna kidnapping case

Direction issued by the National Human Right Commission(NHRC)
 
Despite sufficient time and opportunity having been given, the requisite report has not been received. In these circumstances, let summons be issued for the personal appearance of Director General of Police, BIhar, before the Commission on 3.5.2013 at 11:00 A.M. along with the requisite report. 





Patna, March 31 (IANS) The National Human Rights Commission (NHRC) has summoned the Bihar Police chief to appear before it for failing to submit a report on a minor girl missing since Sep 18 last year.

The NHRC has asked Director General of Police Abhyanand to appear before it personally at its office in New Delhi May 3.

"Despite giving sufficient time and opportunity, the requisite report has not been received. In these circumstances, let director general of police, Bihar, personally appear before the commission on May 3 along with the requisite report," the commission said.

The 13-year-old girl was abducted from her house in Muzaffarpur district Sep 18. However, the state police have failed to make any breakthrough in the case till date.

In October last year, Abhisek Ranjan, a Delhi University law student, had filed a complaint with the NHRC in this regard, and the commission had directed Bihar Police to submit a report on the case by Dec 6.
According to officials in the state home department, despite two reminders sent subsequently to Bihar Police, the commission did not get any response on the incident.

Early this year, the investigation was handed over to the crime investigation department (CID) of Bihar Police.

Atulya Chakravorty, father of the girl, has alleged that his daughter was abducted by land mafia as he refused to give up a piece of prime land in Muzaffarpur. 

A skeleton was found from a drain near Chakravorty's house. But despite a court order, Chakravorty and his wife refused to give their blood samples for a DNA test, saying the skeleton was not their daughter's.

    नवरुणा अपहरण मामले में बिहार डीजीपी को सम्मन जारी
पटना: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(एनएचआरसी) ने पिछले वर्ष 18 सितंबर से लापता एक नाबालिग लड़की नवरुणा के अपहरण को लेकर राज्य के पुलिस महानिदेशक अभयानंद को नई दिल्ली स्थित आयोग के कार्यालय में 3 मई को हाजिर होने का निर्देश दिया है। एनएचआरसी ने इस घटना के बारे में शिकायत दर्ज करवाने के बाद रिपोर्ट तलब की थी, लेकिन राज्य पुलिस रिपोर्ट पेश नहीं कर सकी।


आयोग ने कहा है, "पर्याप्त समय और अवसर दिए जाने के बावजूद मांगी गई रिपोर्ट नहीं मिली है। इस परिस्थिति में बिहार के पुलिस महानिदेशक रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष हाजिर हों।"

ज्ञात हो कि राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में 18 सितंबर को 13 वर्ष की एक लड़की का उसके घर से अपहरण कर लिया गया। इस मामले में राज्य पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल पाया है।

पिछले वर्ष अक्टूबर में दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून के छात्र अभिषेक रंजन ने एनएचआरसी से शिकायत की और आयोग ने उस पर बिहार पुलिस को 6 दिसंबर तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था।

राज्य के गृह विभाग के मुताबिक बिहार पुलिस को दो-दो ताकीद जारी करने के बावजूद आयोग को इस घटना के बारे में कोई जवाब नहीं दिया गया।

इस साल के शुरू में मामले की जांच बिहार पुलिस की अपराध अनुसंधान शाखा (सीआईडी) को जांच सौंप दी गई।

लड़की के पिता अतुल्य चक्रवर्ती ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी का भू माफियाओं ने अपहरण कर लिया है, क्योंकि उन्होंने एक कीमती जमीन का टुकड़ा बेचने से इनकार कर दिया था।

चक्रवर्ती के घर के समीप नाले से एक कंकाल पाया गया था, लेकिन अदालती आदेश के बावजूद चक्रवर्ती दंपति ने डीएनए जांच के लिए रक्त का नमूना देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह कंकाल उनकी बेटी का नहीं है।


हिंदी न्यूज़
http://www.bhaskar.com/article/BIH-PAT-in-case-nvruna-nhrc-summons-sent-to-dgp-4223582-NOR.html
http://www.mahuaanews.com/823503477.aspx
http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/179231/1/20
http://hindi.in.com/latest-news/news/-1768462.html
http://www.liveaaryaavart.com/2013/03/blog-post_253.html
English news links
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-04-01/patna/38188997_1_the-nhrc-bihar-police-atulya-chakravorty
http://in.news.yahoo.com/nhrc-summons-bihar-police-chief-missing-girl-case-075120271.html
http://ibnlive.in.com/news/nhrc-summons-bihar-police-chief-in-missing-girl-case/382291-3.html
http://www.indiavision.com/news/article/national/410377/nhrc-summons-bihar-police-chief-in-missing-girl-case/
http://hillpost.in/2013/03/31/nhrc-summons-bihar-police-chief-in-missing-girl-case/63537/news-2/crime/hp_bureau
http://twocircles.net/2013mar31/nhrc_summons_bihar_police_chief_missing_girl_case.html?utm_source=twitterfeed&utm_medium=twitter&utm_campaign=Feed%3A+Twocirclesnet+%28TwoCircles.net%29

http://post.jagran.com/nhrc-summons-bihar-police-1364719117
http://newindianexpress.com/nation/article1524536.ece
http://zeenews.india.com/news/bihar/nhrc-summons-bihar-police-chief-in-missing-girl-case_838850.html
http://www.indiavision.com/news/article/national/410377/nhrc-summons-bihar-police-chief-in-missing-girl-case/
http://www.daijiworld.com/news/news_disp.asp?n_id=169004

Thursday, 28 March 2013

नवरुणा का अपहरण: घटनाक्रम एक नजर मे



1) 18 सितंबर 2012 की रात जवाहरलाल रोड स्थित अतुल चक्रवर्ती के घर के एक कमरे में सोई उनकी बेटी सेंट जेवियर्स स्कूल की छात्रा नवरुणा का अपहरण.

2) घटना के बाद जब परिजनों की नींद खुली तो तत्काल पुलिस को सूचना दी गई(मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूचना 3:30 सुबह में, पुलिस आई 4:30 में ) । पुलिस ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की।

3)19 सितंबर को दर्ज मामले की जांच प्रशिक्षु सब इंस्पेक्टर अमित कुमार को सौंप दिया गया। मामला प्रेम प्रसंग का है, कहकर मामले को गंभीरता से नही लिया गया। टावर लोकेशन, सीमा सील, डॉग स्क्वायड आदि कुछ नहीं किए गए।  स्थानीय मीडिया रिपोर्ट पहले दिन से इस अपहरण मामले के पीछे कीमती जमीन को हथियाने के प्रयास का परिणाम माना, इस बात पर नवरुणा के माता पिता भी सहमत थे कि अपहरण के पीछे जमीन को हड़पने की कोसिस में लगे लोगो का ही हाथ है, लेकिन पुलिस कभी मधुबनी कांड में व्यस्त है, तो कभी किसी और मसले में, कहकर और पुरे मामले को प्रेम प्रसंग बताकर अपना पल्ला झाड़ती रही।    

4) 21 सितंबर: संदिग्धों से लगातार पूछताछ के बाद भी नहीं मिला सुराग।

5) 19 अक्टूबर: एक महीने बाद भी बेटी का कोई सुराग नहीं मिलने, प्रेम प्रसंग बताकर बेटी के चरित्र लांक्षण से आजीज आकर नवरुणा के माता-पिता ने 22 अक्टूबर को एसएसपी आवास के समक्ष आत्मदाह की घोषणा की।

20 अक्टूबर : अपहरण के मामले में तीन आरोपी जेल भेजे गए।

6) 21 अक्टूबर :  सीएम की सभा में महिला पुलिसकर्मियों  ने आलाधिकारियों के इशारे पर अपनी बेटी के लिए गुहार लगाने पहुंची नवरुणा की मां मैत्री चक्रवर्ती को सीएम से मिलने नहीं दिया, दो महिला पुलिसकर्मी तैनात कर दिए। हद तो यह हो गई कि माँ के हाथों से आवेदन छीन लिए और उसे फाड़ दिया। माँ रोटी-बिलखती रही, लेकिन उसे मिलने नहीं दिया गया। अगले दिन सभी अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर यह खबर छपी लेकिन सरकार की तरफ से कोई सुध लेने नहीं पहुंचा।

7) 22 अक्टूबर:  एसएसपी विशेष टीम के साथ अपहृता के घर पहुंचे। कहा, 24 अक्टूबर तक घर लौट आएगी बेटी।

8) 25 अक्टूबर : 24 तक बेटी के घर लौटने सम्बन्धी एसएसपी के वादे की मियाद पूरी होने पर, बेटी की याद में नवरुणा के पिता ने नींद की आठ गोलिया खाकर जान देने की कोसिस की।

9) 26 अक्टूबर : फेसबुक पर नवरुणा के लिए कैम्पेन शुरू। नवरुणा की दोस्त ने एक पेज बनाकर उसे ढूंढने की अपील की। मुजफ्फरपुर सहित हम दिल्ली के छात्रों को भी इसी फेसबुक पेज से इस दुखद अपहरण कांड की जानकारी मिली।

10) 27 अक्टूबर को दैनिक जागरण अखबार में "बेटी को बचाओ" शीर्षक एक खबर लगी, जिसे ऑनलाइन पढ़कर पुरे मामले की जानकारी लेने की उत्सुकता शहर से लेकर हमारे जैसे दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर जैसे जगहों पर रहनेवाले लोगो को हुई। 27 को ही शहर में कुछ छात्रों ने कैंडल मार्च का आयोजन किया। कुछ जानकार लोगो ने हमसे भी ऐसा करने को अनुरोध किया।

11) 28 अक्टूबर को नवरुणा की गूंज मुजफ्फरपुर शहर से लेकर दिल्ली तक में सुनाई पड़ने लगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैम्पस स्थित विवेकानंद की मूर्ति, जो ऐसे आयोजनों का केंद्रबिंदु है, पर 20-25 छात्रों के द्वारा सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया गया।  ----मुजफ्फरपुर, दिल्ली में हुए छात्रों के इस प्रदर्शन से हरकत में आई पुलिस में थोड़ी खलबली मची। आलाधिकारी घर पहुंचे और पुरे मामले की छानबीन की। कई टीमे गठित की गई।

11) नवरुणा को लेकर जब अचानक शहर में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया, प्रतिदिन कैंडल मार्च आयोजित होने लगे और प्रशासन थोडा सक्रिय हुआ तो दिल्ली में 12 वर्षीया इस मासूम के शुभचिंतक  छात्रों ने फेसबुक पर चलाये जा रहे कैम्पेन को जमीं पर उतारते हुए 4 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने का निश्चय किया।
-------4 नवम्बर को फेसबुक, मैसेज के माध्यम से ही दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, IIMC, IIT सहित अनेक संस्थानों के तकरीबन 60-70 छात्र-छात्राएं जंतर मंतर पहुंचकर अपना विरोध जताया और तुरंत नवरुणा की सकुशल घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए सरकार से ठोस कारवाई करने की मांग की।
 
11) सेव नवरुणा की मांग कर रहे हम छात्रों को बहुत उम्मीद थी कि 4 नवम्बर के प्रदर्शन के बाद बहुत जल्द सरकार हरकत में आएगी और इस बच्ची को खोजकर उसके माँ-बाप को सौंपेगी। लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा। प्रदर्शन के अगले ही दिन मुजफ्फरपुर से इस अपहरण मामले की जाँच कर रहे अनुसंधानकर्ता अमित कुमार का फोन प्रदर्शन कर रहे एक छात्र अभिषेक रंजन के पास 5 नवम्बर को सुबह 11 बजे के करीब  आया जिसमे पुलिस इस मामले में क्या कर रही है, यह बताने के लिए मिलने की बात कही गई। शाम के करीब 6र:30 में लॉ फैकल्टी में जब अमित कुमार पहुंचा तो जानकारी सेव नवरुणा कैम्पेन चला रहे सभी छात्रों के सामने देने की वजाए अकेले में बुलाकर अभिषेक को ले गया। अकेले में ले जाकर जब प्रदर्शन आयोजित करने को लेकर नाराजगी जताने और धमकी देने लगा तब पुरे बातचीत को रिकॉर्ड करने के लिए अभिषेक ने अपने मोबाइल के रिकॉर्डर को ऑन कर दिया। लगभग 25 मिनट की इस रिकार्डेड बातचीत में पुलिस ने मधुबनी कांड का हवाला देते हुए यहाँ तक कह गई कि अंत में जो-जो इस मामले में प्रदर्शन कर रहे है, उन्हें परेशान होना पड़ेगा। बातचीत के क्रम में प्रदर्शन रोकने, उच्च अधिकारीयों से नही मिलने का भी फरमान सुनाया गया। अभिषेक से जब घर का पता लेने की कोशिश की गई तो उसने विरोध किया और पता देने से इंकार कर दिया। इसपर अमित कुमार का कहना था कि ऐसा वह उच्च अधिकारीयों के कहने पर कर रहे है।

12) 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल की गई जिसमे इस अपहरण की गुत्थी सुलझाने के साथ साथ प्रतिदिन 10 से 12 के बिच हो रहे अपहरण के मामले पर माननीय न्यायलय से संज्ञान लेते हुए करवाई करने की अपील की गई।

13) 31 अक्टूबर: सीआइडी टीम पहुंची नवरुणा के घर.

14) 19 नवम्बर: शहर में बंद करने के एलान के बाद एसएसपी ने फिर 15 दिन में बरामद करने की बात कही और बंद के कॉल को वापस लेने पर स्थानीय सामाजिक-राजनितिक कार्यकर्ताओं को मजबूर किया।

14) जवाहरलाल रोड स्थित नवरुणा के घर के पास की नाली की सफाई( 26 नवंबर) के दौरान एक कंकाल दो थैलीयो में बरामद। दो दिनों बाद एक कटी हुई हाथ के टुकड़े, खून के धब्बे मिले। अज्ञात के विरुद्ध 302 के तहत मुकदमा( न. 640/12, दिनांक-26.11.2012)। कंकाल के प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे किसी व्यस्क का माना। मीडिया रिपोर्ट में एसएसपी ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि कंकाल किसी बड़े व्यक्ति का है। कंकाल मिलने के समय कुछ लोगो ने कहा कि यह शहर में आग लगाने के लिए रच गया षड़यंत्र का हिस्सा था लेकिन मुजफ्फरपुर के लोगो ने धैर्य का परिचय दिया। ----गौरतलब है कि इस कंकाल के मिलने के बाद अचानक नवरुणा को ढूंढ़ निकालने के वादे करनेवाले पुलिस अधिकारीयों का रुख ही बदल गया। सब कंकाल के पीछे पड़ गए।------भारत का यह पहला मामला होगा जहाँ कंकाल घर के समीप बरामद होते ही पुलिस डीएनए टेस्ट के लिए सैम्पल लेने के लिए दबाब बनाना शुरू कर दी। कंकाल के सम्बन्ध में कुछ जानकारी, जैसे उम्र, लिंग, हत्या की अनुमानित तिथि आदि की जानकारी बगैर कैसे पुलिस टेस्ट के लिए कह सकती थी जबकि अभीतक फोरेंसिक जाँच की रिपोर्ट भी नहीं आई थी।      

14) प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, सभी जगहों से मुख्य सचिव/DGP से जबाब माँगा गया।  

15) सुप्रीम कोर्ट ने 07 जनवरी, 2013 को भारत सरकार, बिहार सरकार को नोटिस जारी कर पुरे मामले में जबाब माँगा है। 25 फरवरी डेट था जो अब 22 अप्रैल हो गया है।


इस विडियो को ध्यान से देखिए ....http://www.youtube.com/watch?v=COOej5o_4Co,

इन दो रिपोर्ट को देखे--

जांच व बयान के बीच मासूम की जान

Sat, 29 Dec 2012 
http://www.jagran.com/bihar/muzaffarpur-9989036.html

सीबीआइ को ही सेंपल देंगे नवरुणा के पिता

Sat, 29 Dec 2012

नवरुणा को खोजने के लिए दर्जन भर अधिकारियों को लगाया गया। पुलिस की टीम ने शहर व आस-पास के जिलों के अलावा दिल्ली, कोलकाता व हावड़ा जाकर जांच की। नवरुणा व उसके परिवार के हर कनेक्शन को खंगाला गया। परिजनों ने भूमि माफियाओं का नाम लिया। दो पड़ोसी सहित एक रिश्तेदार सुदीप चक्रवर्ती के भी घटना में लिप्त होने की बात कही। सभी पकड़े गए। जेल भेजे गए। रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की गई। लेकिन अंत में हुआ अभीतक क्या ? जबाब है कुछ नहीं। मुजफ्फरपुर से लेकर दिल्ली तक के छात्रों को, जो लोकतान्त्रिक तरीके से नवरुणा के लिए आवाज उठा रहे थे, उनके मुहं बंद करने की कोशिश क्यों की गई पुलिस द्वारा?  

पुरे प्रकरण को लेकर मन में कुछ सवाल बार बार उठता है कि-

(1) नवरुना के घर के समीप मिले कंकाल और फोरेंसिक जाँच को भेजी गयी कंकाल क्या एक थे या अलग अलग ?---क्यूंकि कंकाल के प्रत्यक्षदर्शी कंकाल के किसी बड़े व्यक्ति का होने की बात कह रहे थे, जिसकी पुष्टि स्थानीय अखबारों ने भी की है। खून के धब्बे, कटी हुई हाथ आखिर किसका था? 

(2) कंकाल मिलने के साथ ही पुलिस तत्काल जाँच के लिए परिजन पर क्यूँ दबाब बनाना शुरू कर दिया जबकि फोरेंसिक रिपोर्ट आई भी नहीं थी ?

(3) अभीतक कंकाल घर के समीप डालने वाले तक पुलिस क्यूँ नहीं पहुँच पाई है ?

(4) जब से कंकाल मिला है तबसे नवरुना के सुरक्षित घर लौटने के आश्वासन देने की वजाए इस प्रकार का माहौल क्यों बनाया जा रहा है कि कंकाल नवरुना का ही है ?

(5) अभीतक नवरुना के घर लौट आने के दावें करने वाला प्रशासन अचानक कंकाल तक ही अपनी जाँच को क्यों सिमित कर दिया है ??

 (6) 12 वर्षीया नवरुना के अपहरण की शिकायत दर्ज करवाने के बाद मामले में तुरंत करवाई क्यों नहीं की गई ?

(7) क्या प्रेम प्रसंग का मामला बताकर पुलिस मामले को दबाना चाहती थी ?

(8) फोरेंसिक जाँच अपहरण के तुरंत बाद क्यों नहीं की गयी जबकि पूरा मामला शुरुआत से ही भूमि विवाद से बताया जा रहा था ?

(9) दिल्ली में सेव नवरुना कैम्पेन चला रहे छात्रों को धमकाने पुलिस क्यों आई थी और किसके कहने पर आई थी ?

(10) मामले की जाँच कर रहे अधिकारी को बार बार क्यों बदला गया ??

(11) बिहार सरकार का कोई प्रतिनिधि अभीतक पीड़ित परिवार से क्यों नहीं मिला ??  

 इन सब बातों के बाबजूद हमें उम्मीद है कि नवरुना अपने घर जरुर आएगी। हमारा प्रयास विफल नहीं होगा। मुझे बहुत खुशी होगी जब माननीय सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार, बिहार सरकार और बिहार के DGP नवरुना केस की रिपोर्ट की वजाए नवरुना को लेकर कोर्ट में पेश होंगे !

...आशा है, बिहार पुलिस, बिहार सरकार सेव नवरुना अभियान को अपने विरोध में न मानकर, एक बेटी को बचाने के अभियान के तौर पर लेगी और देश की एक बेटी को बचाने का काम करेगी। हमारा विश्वास नहीं टूटेगा, इसका पूरा भरोसा हमें है।
आपका सहयोग अपेक्षित है। हो सकें तो आप भी कुछ एक बेटी के लिए!  

Friday, 22 March 2013

Resolution passed during International seminar for Navruna.



International seminar as a part of celebration of Bihar Diwas 2013
Hosted by Bihar Bangla Academy
16th and 17th March, A.N.Sinha Institute, Patna

(Translated form of Resolution passed during seminar for Navruna.)

 
Respected Chief Minister,
Bihar.

During participating in the International Seminar conducted as a part of celebration of Bihar Diwas 2013, through a letter sent by Bengali Association Bihar, we learnt about abduction of Navaruna, a young girl from Muzaffarpur. She is still traceless.

We pray for her safety and appeal to Government to give necessary instruction to police for early recovery of her.

Thanking you,
Yours sincerely

(70 participants signature)  

Sunday, 17 March 2013

नवरुणा के लिए जंतर मंतर पर प्रदर्शन, घर वापसी व न्याय मिलने तक जारी रहेगा छात्रों का संघर्ष

"स्टूडेंट्स फोरम फॉर सेव नवरुणा" के बैनर तले आज जंतर मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। 177 दिनों से अपहृत  नवरुणा  को अपराधियों के चंगुल से जल्द छुड़वाने में विफल रहे बिहार सरकार व बिहार पुलिस से नाराज दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, आईआईएमसी, आइपी, जामिया सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों में पढ़नेवाले छात्र इस विरोध प्रदर्शन में मौजूद रहे। प्रदर्शन के दौरान समाज जीवन के अन्य क्षेत्रों से भी, यथा, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्त्ता व कुछ समय के लिए बिहार विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष श्री उपेन्द्र कुशवाहा भी बिहार के इस बेटी को बचाने के लिए चलाए जा रहे मुहिम को समर्थन देने जंतर मंतर पहुंचे।

प्रदर्शनकारी छात्रों की बस एक ही मांग थी कि मामले की जाँच सीबीआई को सौंपी जाए व उसे एक नियत समय तय करके  नवरुणा को ढूंढ़ निकालने को कहा जाए। छात्र इस बात से भी नाराज थे कि राज्य सरकार अबतक इस अपहरण के मामले की गुत्थी सुलझाने में नाकाम रही पुलिस की पीठ थपथपाने में लगी है। परिजनों को बेवजह तंग करने को अन्यायपूर्ण मानते हुए सरकार से उनकी जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।

प्रदर्शनकारी छात्र  नवरुणा के लिए जारी मुहिम को तबतक खत्म नहीं करने का संकल्प लिया, जबतक  नवरुणा मिल नहीं जाती और उसके अपहरणकर्ताओं को सजा नहीं हो जाती। आनेवाले दिनों में अगर  नवरुणा मामले में सरकार कुछ  ठोस करने और उसे खोजने में नाकाम रहती है तो इस मामले को लेकर छात्रों ने चरणबद्ध तरीके से आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया है।

Friday, 15 March 2013

Navruna father letter to Hon'ble Chief Justice, Supreme court





देश की एक बेटी नवरुणा के लिए हम अपनी आवाज बुलंद करें, 17 मार्च को नवरुणा के लिए पहुंचे जंतर मंतर


आज पूरा देश जानता है कि मुजफ्फरपुर, बिहार से पिछले 175 दिनों से भी ज्यादा समय से अपहृत नवरुणा का अबतक पता नहीं चल पाया है। सब जानते है कि नवरुणा का अपहरण शहर के बीचोबीच स्थित करोड़ों की संपत्ति हड़पने की साजिश की तहत अंजाम दी गई है।  मीडिया रिपोर्ट व अभीतक इस केस में हुई प्रगति को देखते हुए लगता है कि बिहार सरकार-पुलिस व भू माफियाओं के परस्पर गठबंधन से यह घटना अंजाम दी गई है।

यह भी विदित तथ्य है कि नवरुणा के परिजनों को मीडिया के सामने मुहं न खोलने की पुलिसिया धमकी के चलते यह अपहरण का मामला शुरूआती एक महीने तक दबा रहा। पुलिस 12 वर्षीया नवरुणा को खोजने की वजाए 7 वी क्लास में पढने वाली इस छात्रा को प्रेम प्रसंग में भाग जाने की बात कहती रही। उसके क्लास के टीचरों, दोस्तों से पूछताछ व तंग करती रही। जब मामला फेसबुक के माध्यम से हम दिल्ली में पढ़ रहे छात्रों के ध्यान में आया तो हमने विरोध करना शुरू किया। परिणाम यह हुआ कि बिहार पुलिस, दिल्ली आकर हमें धमकी दी और साफ-साफ सुशासन के लहजे में बोली कि इस मामले में किसी आलाधिकारियों से न मिले। किसी के आगे गुहार न लगाए। प्रेशर बनेगा तो फिर छोड़ेंगे नही। हम डरे, लेकिन दुगुनी ताकत से फिर उठ खड़े हुए। सब जगह गए, जहाँ जहाँ जाना चाहिए था। अंत में सुप्रीम कोर्ट में रीट याचिका डालकर इसमें कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की। लेकिन न्याय फिलहाल व्यवस्था की जंजीर में कैद है। डेट पर डेट। अगली सुनवाई 22 अप्रैल को है। न्याय की अंतिम चौखट पर गुहार लगाने के बाबजूद अबतक कुछ ठोस नही हो पाया है। ऐसी स्थिति में हम क्या करे। चीखना चिल्लाना ही तो आम जनता के फितरत में लिखा है! 

इस अपहरण के पीछे कौन लोग है? यह बात न तो हम जानते है और न ही जानने में दिलचस्पी रखते है लेकिन जिस तरीके से बिहार सरकार अपनी पुलिस की पीठ थपथपा रही है, उससे यह साफ़ जाहिर कि अपराधियों की पहुँच बड़ी लम्बी है। राजनीतिक रूप से बड़े लोग इसमें शामिल है।     

लगभग 6 महीने बीतने के बाद भी कही कुछ अता पता नही है नवरुणा का। आज स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि जो परिजन कभी पुलिस पर विश्वास कर किसी को भी, यहाँ तक की मीडिया को भी, कुछ भी बताने से परहेज करते थे। वे डरे, सहमे से है। रोते बिलखते है और "धैर्य रखकर चुप रखने की" झूठी पुलिसिया वादों से तंग है। 

नवरुणा न तो वोट बैंक है और न ही किसी की जाती की, जो बिहार की जनता के ह्रदय को झकझोड़ती। दुर्भाग्य से वह उस बंगाली समुदाय से संबंध रखती है, जिसने न केवल मुजफ्फरपुर को बल्कि समूचे बिहार को काफी कुछ दिया है। अपनी शहादत दी है। अपने खून-पसीने की कमाई से बिहार को संवारा-संजोया है। लेकिन अब उसकी कीमत अब उसे अपनी पहचान गवांकर, औने पौने दामपर अपनी पैतृक संपत्ति को बेचकर चुपचाप भागने या अपना सब कुछ लुटाकर चुकाना पड़ रहा है।  

इस मामले में  राजनीतिक चुप्पी अपने आप में सवाल खड़े करती है। लगता है जैसे सर्वदलीय गठबंधन हो गया हो इस मामले में चुप रहने की। बार-बार आग्रह के बाद कुछ होता दिखा भी तो वह रस्मी ज्यादा दिखा, परिणामकारी बनाने की नियत नहीं दिखी। आज राज्य की व्यवस्था ड्रामा रचकर उसके घर पर कही से फेंके गए कंकाल की आड़ में सारे मामले को दबाने पर जुटी है। नवरुणा को खोजने, उसके बारे में कुछ बताने की वजाए उल्टे नवरुणा के परिजनों को फंसाने की कोशिश कर रही है। दुर्भाग्य है कि सीएम विधानसभा में जनता को बरगलाते हुए उसके परिजन पर जाँच में सहयोग नहीं करने का इल्जाम लगा रहे है, जबकि वे शुरुआत से ही पुलिस पर पूरा भरोसा कर रहे थे, छोटी छोटी जानकारियाँ दे रहे थे। सीएम के बयान से लगता है कि वे भी इस मामले में पुलिस की नाकामी को समर्थन कर रहे है व अपराधियों के साथ ही है।  

शहीद खुदीराम बोस की धरती आज शर्मसार है। बिहार की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले बंगाली परिवारों को जबरदस्ती उजाड़ा जा रहा है। मीडिया रपटों व बिहार के विभिन्न शहरों में जाकर ज़मीनी हालात पता करे तो आज हालात यह है कि बंगाली अल्पसंख्यक समुदाय की पैतृक संपत्ति, जो राज्य के विभिन्न शहरों में थी, भू माफियाओं व राजनेताओं की परस्पर गठजोड़ से हड़प लिए जा रहे है। उन्हें राज्य से भागने पर मजबूर किया जा रहा है।

कोई कुछ भी कहे, इस मामले ने हमें बुरी तरह झकझोड़ कर रख दिया है। हमें "बिहार में सुशासन है" इस वाक्य  से नफरत हो गई है। यह शायद कम रहता लेकिन दिल्ली में हमें व नवरुणा को लेकर कुछ लिखने, करने की कोशिश करनेवालों को मिले धमकी ने विरोध करने पर जबरदस्ती मजबूर किया।  कुछ दोस्तों के सहयोग, शुभचिंतकों के उत्साहवर्द्धन से हम लगातार नवरुणा की घर वापसी व उसे न्याय दिलाने को कृतसंकल्पित है। बिना किसी राजनीतिक -आर्थिक सहयोग के व्यक्तिगत मामला मानकर हमलोग लड़ाई लड़ रहे है लेकिन वास्तिविकता है कि आज हमसब डरे हुए है। डर इस बात का है- क्या हम कभी बिहार में निर्भय होकर जी सकेंगे? क्या हमारे घरवाले सुरक्षित रह सकेंगे? क्यूंकि सुना है, जंगलराज से "सुशासन के आतंकराज" में बदले बिहार में विरोधियों को बक्शा  नहीं जाता। 

सेव नवरुणा मुहिम में लगे हम कुछ छात्रों को अपने भविष्य को लेकर चिंता होना स्वाभाविक है। लेकिन आप ही बताएं- क्या हम चुपचाप बैठ जाए? क्या बैठने से हमें नवरुणा मिल जाएगी ? पुलिस की धमकी में, जो-जो उड़ रहे है उसे देख लेने की जो बात कही गई थी, उसे भूल जाए? क्या हम सिर्फ इसलिए चुप बैठ जाए कि इसमें बड़े लोग शामिल है, वे हमारा भविष्य चौपट कर देंगे? नवरुणा हमारी बहन या कोई रिश्तेदार रहती तभी हम उसके लिए बोलते-लिखते, कुछ करते ? 

समय की मांग है कि देश की एक बेटी नवरुणा के लिए हम अपनी आवाज बुलंद करें । सवाल सिर्फ नवरुणा तक रहती तो हम बर्दास्त करने की थोडा बहुत सोच सकते थे लेकिन हालात बहुत ख़राब हो गए है हमारे बिहार में। इसे बर्बाद होने से बचाने के लिए अपनी आवाज उठाए। कुछ हो सकें तो करे वरना इस सुशासन की आड़ में न जाने कितनी नवरुणा गायब होती रहेगी। आम बिहारी मरते, लुटते, पिटते रहेंगे। जब हम सुरक्षित ही नहीं रहेंगे तो फिर हम "विशेष" बनकर भी क्या कर लेंगे। 

हम न तो बागी है और न ही बदमाश। हम न्याय चाहते है। हम शांति-खुशहाली चाहते है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप हमारे साथ अन्याय करते रहे और हम चुपचाप सहते रहे। लड़ेंगे। पूरी ताकत से लड़ेंगे। जो भी अंजाम होगा, उसे सहने, देखने को तैयार है। 

स्टूडेंट फोरम फॉर सेव  नवरुणा

(Written by Abhishek Ranjan, Views expressed is personnel and have no connection with any organisation)

Sunday, 10 March 2013

Hindustan Times report on Navruna

The govt. of Bihar and its police possibly thinks that truth can be sacrificed on the altar of Government Policy, where good governance means cost of life, kidnapping of mothers, sisters. But- Truth, I say. Shall prevail. Hindustan Times, Patna edition continuously exposing the real fact behind Navruna case. 

we, the student community heartily appreciate and salute to Hindustan Times group for courage to show a truth behind Navruna kidnapping. We hope, times report will exposed the black face of criminal conspiracy and help us to get justice. 


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस( 8 मार्च, 2013 ) से लगातार 'हिन्दुस्तान टाइम्स' का पटना संस्करण अपने पहले पृष्ठ पर नवरुणा मामले पर बेबाक रिपोर्टिंग कर रहा है। 8 मार्च जहाँ नवरुणा मामले की पूरी परत उघाड़ने वाला था तो 9 मार्च को बिहार में बंगाली समुदाय के अस्तित्व पर छाए संकट को विस्तार से अपनी आवाज दी और अपहरण के मामले को ज़मीं हथियाने का षड्यंत्र माना। 10 मार्च के अंक में किस तरीके से नवरुणा के दोस्तों, टीचरों व पड़ोसियों को तंग की, इसका विस्तार से रिपोर्ट लिखा है। 'हिंदुस्तान टाईम्स" मीडिया के ऊपर बिहार में लागू आपातकाल को जिस बेबाक तरीके से चुनौती देने का काम किया है उसे सेव नवरुणा कैम्पेन चला रहे छात्र सलाम करते है और यह उम्मीद रखते है कि उनका यह अभियान नवरुणा को न्याय मिलने तक जारी रहेगा।


Report published in Hindustan Times (Front page)   


On 21st March, 2013


On 18th March, 2013





On 17th March, 2013




On 16th March, 2013 




On 15th March, 2013




On 14th March, 2013



On 13th March, 2013


On 12th March, 2013




On 11th March, 2013



on 10th March, 2013



On 9th March, 2013




Report published on 8th March, 2013 





Tuesday, 5 March 2013